हिमालय पर्वत-श्रेणी (The Himalayas)
हिमालय पर्वत पश्चिम में नंगा पर्वत से लेकर पूर्व में नामचा बरवा तक धनुष की आकृति में पैफला हुआ है। इन दोनों ही स्थानों पर हिमालय में दो तीखे मोड़ (Syntaxial Band) स्थित हैं। इस मोड़ का निर्माण प्रायद्वीपीय पठार की विशिष्ट आकृति के कारण हुआ है। अरावली श्रेणी तथा शिलांग पठार के प्रक्षेपित होने के क्रम में इन मोड़ों का निर्माण हुआ है। दबाव बल की अपेक्षाकृत कम तीव्रता के कारण हिमालय का पश्चिमी भाग अपेक्षाकृत अधिक चैड़ा एवं कम ऊँचा है। इस भाग में हिमालय की अनेक शाखाएँ हैं। पूर्वी भाग में दबाव के अधिक तीव्र होने के कारण हिमालय की तीनों श्रेणियाँ आपस में मिली हुई प्रतीत होती हैं हिमालय का पूर्वी भाग न केवल सर्वाधिक ऊँचा है बल्कि इसकी ढाल भी अधिक तीव्र है। इस पर्वत श्रेणी की ढाल असीमित है अर्थात् इसकी दक्षिणी ढाल उत्तरी ढाल की तुलना में अधिक तीव्र है।हिमालय का निर्माण भारतीय सह-आॅस्ट्रेलियाई प्लेट एवं यूरेशियाई प्लेट के अभिसरण प्रक्रिया के फलस्वरूप हुआ है। अभिसरण-क्रिया के अंतर्गत सापेक्षतः हल्के घनत्व के यूरेशियाई प्लेट का अग्रभाग वलित हो गया जिससे हिमालय का निर्माण हुआ। वस्तुतः इन दोनों प्लेटों का अभिसरण अभी भी जारी है, परिणामस्वरूप हिमालय अभी भी क्रमशः उँफचा हो रहा है। यही कारण है कि हिमालयी क्षेत्रा में अभी भी निरंतर भूकंप आते रहते हैं।
हिमालय पर्वत-श्रेणी को तीन भागों में विभाजित किया जाता है -
1. महान हिमालय (Great Himalaya)
महान हिमालय को फ्वृहत् एवं आंतरिक हिमालयय् के नाम से भी जाना जाता है। इस श्रेणी का आंतरिक भाग अजैविक चट्टानों से बना है। उसके ऊपर की परतदार चट्टानें पूरी तरह नष्ट हो गईं एवं आंतरिक भाग की अजैविक चट्टानें ग्रेनाइट, नीस एवं शिष्ट के रूप में मौजूद हैं। महान हिमालय की औसत ऊँचाई लगभग 6000 मी. है। इस श्रेणी का दक्षिणी ढाल उत्तरी ढाल की तुलना में कापफी तीव्र है। एवरेस्ट, कंचनजंगा, मकालू, धौलागिरि, नंगापर्वत, नामचा बरवा आदि इसके महत्त्वपूर्ण शिखर हैं। महान हिमालय में ही भारत में हिमालय की सर्वोच्च चोटी कंचनजंगा स्थित है। यह विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी है जो सिक्किम राज्य में स्थित है। हिमालय में कई दर्रे एवं हिमनद अवस्थित हैं। बुर्जिल, जोजिला, शिपकीला प्रमुख दर्रे एवं मिलान, गंगोत्राी एवं जेमू प्रमुख हिमनद हैं।
2. मध्य/लघु हिमालय/हिमाचल (Middle/Lesser Himalaya/Himachal)
महान हिमालय के दक्षिण में मध्य हिमालय की स्थिति है। यह श्रेणी महान तथा शिवालिक हिमालय के मध्य में अवस्थित है। इसकी सामान्य ऊँचाई 3700 से 4500 मी. के मध्य है। यह अनेक शाखाओं में विभाजित है जिनमें पीरपंजाल श्रेणी (जम्मू कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश), धौलाधर (हिमाचल प्रदेश) मसूरी श्रेणी (उत्तराखंड) तथा नागटिब्बा (उत्तराखंड) प्रमुख हैं। मध्य हिमालय में स्थित दर्रे यथा पीरपंजाल, रोहतांग आदि हैं जिनके द्वारा यह जम्मू-कश्मीर क्षेत्रा से जुड़ा हुआ है। मध्य हिमालय पर अनेक महत्त्वपूर्ण हिल स्टेशन जैसे डलहौजी, शिमला, नैनीताल, मसूरी, रानीखेत, दार्जिलिंग आदि स्थित हैं। मध्य हिमालय पर स्थित घास के मैदानों को 'मर्ग' के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में इन मैदानों को 'वुग्याल या पयार' के नाम से जाना जाता है। ये मैदान उत्तम चारागाह हैं। इस शृंखला का उत्तरी ढाल मंद तथा दक्षिणी ढाल तीव्र है, इसीलिए उत्तरी ढाल सापेक्षतः ज्यादा सघन वनस्पति से आच्छादित है जबकि दक्षिणी ढाल सापेक्षतः नग्न हैं। इन्हीं विशिष्ट स्थलाकृतियों के कारण इसे 'शूकर कटक' भी कहते हैं।



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