वायुमंडल की परते : संरचना
TRICK-"अब वृक्ष असम से वायुयान में आज पडने(पढ़ने) आया और उपर से हाइड्रोजन बम लाया"
Note : इस ट्रिक में शब्दों को अलग करेंगे तथा इसमे परतो के नाम क्रमानुसार है को पहले कौन सी परत होगी उसके बाद कोन सी होगी क्रमश:।
ट्रिक का विस्तृत्व रूप :
[1]. क्षोभ मंडल (Troposphere)
अब वृक्ष असम = अ+ब, वृ+क्ष, अ+स+म
1. अ+ब-आँधी और बादल
2. वृ+क्ष-वर्षा और क्षोभ मंडल
3. अ+स+म-अधो और संवहन मंडल (क्षोभ मंडल के अन्य नाम)
अब वृक्ष असम = अ+ब, वृ+क्ष, अ+स+म
1. अ+ब-आँधी और बादल
2. वृ+क्ष-वर्षा और क्षोभ मंडल
3. अ+स+म-अधो और संवहन मंडल (क्षोभ मंडल के अन्य नाम)
FACT :
(i). यह वायुमंडल का सबसे निचे वाली परत है।
(ii). इसकी ऊँचाई ध्रुवों पर 8 km तथा विषुवत रेखा पर लगभग 18 km होती है।
(iii). क्षोभ मंडल में तापमान की गिरावट की दर प्रति 165 मी. की ऊँचाई पर 1℃ अथवा 1 km की ऊँचाई पर 6.4℃ होती है।
(iv). सभी मुख्य वायुमंडलीय घटनाएँ जैसे बादल, आँधी एवं वर्षा इसी मंडल में होती है।
(v). इस मंडल को संवहन मंडल कहते है, क्योंकि संवहन धाराएँ इसी मंडल की सीमा तक सीमित होती हैं। इस मंडल को अधो मंडल भी कहते है।
[2]. समताप मंडल (Stratosphere)
से वायुयान में = से, वायुयान, में
1. से-समताप मंडल
2. वायुयान-वायुयान इसी मंडल में उड़ते है
3. में-मेघ अर्थात मुलभ मेघ (Mother of pearl cloud) भी कहते है क्योंकी यहाँ विशेष प्रकार के मेघ/बादल का निर्माण होता है।
से वायुयान में = से, वायुयान, में
1. से-समताप मंडल
2. वायुयान-वायुयान इसी मंडल में उड़ते है
3. में-मेघ अर्थात मुलभ मेघ (Mother of pearl cloud) भी कहते है क्योंकी यहाँ विशेष प्रकार के मेघ/बादल का निर्माण होता है।
(i). समताप मंडल 18 km से 32 km की ऊँचाई तक है। इसमे ताप सामान रहता है।
(ii). इसमे मौसमी घटनाएँ जैसे आँधी, बदलो की गरज, बिजली कड़क, धूल कण एवं जलवाष्प आदि कुछ नही होती है।
(iii). इस मंडल में वायुयान उड़ाने की आदर्श दशा पायी जाती है।
(iv). समताप मंडल की मोटाई ध्रुवो पर सबसे अधिक होती है, कभी कभी विषुवत रेखा पर इसका लोप हो जाता है।
(v). कभी कभी इस मंडल में विशेष प्रकार के मेघो का निर्माण होता है, जिन्हें मूलाभ मेघ (Mother of pearl cloud) कहते है।
(ii). इसमे मौसमी घटनाएँ जैसे आँधी, बदलो की गरज, बिजली कड़क, धूल कण एवं जलवाष्प आदि कुछ नही होती है।
(iii). इस मंडल में वायुयान उड़ाने की आदर्श दशा पायी जाती है।
(iv). समताप मंडल की मोटाई ध्रुवो पर सबसे अधिक होती है, कभी कभी विषुवत रेखा पर इसका लोप हो जाता है।
(v). कभी कभी इस मंडल में विशेष प्रकार के मेघो का निर्माण होता है, जिन्हें मूलाभ मेघ (Mother of pearl cloud) कहते है।
[3]. ओजोन मंडल (Ozonosphere)
आज पड़ने = आज, प+ड़+ने
1. आज-ओजोन मंडल
2. प-पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है
3. ड़+ने-डाबसन इकाई नापने की (ओज़ोन परत की मोटाई)
आज पड़ने = आज, प+ड़+ने
1. आज-ओजोन मंडल
2. प-पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है
3. ड़+ने-डाबसन इकाई नापने की (ओज़ोन परत की मोटाई)
lucentgk.com
FACT :
(i). धरातल से 32 km से 60 km के मध्य ओजोन मंडल है।
(ii). इस मंडल में ओजोन गैस की परत पायी जाती है, जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है। इसलिए इसे पृथ्वी का सुरक्षा कवच कहते है।
(iii). ओजोन परत को नष्ट करने वाली गैस CFC (Chloro-floro-carbon) है, जो एयर कंडिशनर, रेफ्रिजरेटर आदि से निकलती है। ओजोन परत में क्षरण CFC में उपस्थित सक्रीय क्लोरीन (Cl) के कारण होती है।
(iv). ओजोन परत की मोटाई नापने में डाबसन इकाई का प्रयोग किया जाता है।
(v). इस मंडल में ऊँचाई के साथ तापमान बढ़ता जाता है, प्रति 1 km की ऊँचाई पर तापमान में 5℃ की वृद्धि होती है।
FACT :
(i). धरातल से 32 km से 60 km के मध्य ओजोन मंडल है।
(ii). इस मंडल में ओजोन गैस की परत पायी जाती है, जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है। इसलिए इसे पृथ्वी का सुरक्षा कवच कहते है।
(iii). ओजोन परत को नष्ट करने वाली गैस CFC (Chloro-floro-carbon) है, जो एयर कंडिशनर, रेफ्रिजरेटर आदि से निकलती है। ओजोन परत में क्षरण CFC में उपस्थित सक्रीय क्लोरीन (Cl) के कारण होती है।
(iv). ओजोन परत की मोटाई नापने में डाबसन इकाई का प्रयोग किया जाता है।
(v). इस मंडल में ऊँचाई के साथ तापमान बढ़ता जाता है, प्रति 1 km की ऊँचाई पर तापमान में 5℃ की वृद्धि होती है।
[4]. आयन मंडल (Ionosphere)
आया और उपर से = आया, उप+र+से
1. आया-आयन मंडल
2. उप-उपग्रह (संचार) इसी मंडल में अवस्थित होते है।
3. र+से-रडार, रेडियो और संचार के साधन जैसे टेलीफोन, टेलीविज़न की सुविधा लॉन्ग तथा शॉर्ट रेडियो तरंग के कारण इसी मंडल से प्राप्त होती है।
आया और उपर से = आया, उप+र+से
1. आया-आयन मंडल
2. उप-उपग्रह (संचार) इसी मंडल में अवस्थित होते है।
3. र+से-रडार, रेडियो और संचार के साधन जैसे टेलीफोन, टेलीविज़न की सुविधा लॉन्ग तथा शॉर्ट रेडियो तरंग के कारण इसी मंडल से प्राप्त होती है।
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FACT :
(i). इसकी ऊँचाई 60 km से 640 km तक होती है। यह भाग कम वायुदाब तथा पराबैंगनी किरणों द्वारा आयनीकृत होता रहता है।
(ii). इस मंडल में सबसे नीचे स्तिथ D-Layer से long radio waves एवं E1, E2 और F1, F2 परतो से short radio wave परावर्तित होती है। जिसके फलस्वरूप पृथ्वी पर रेडियो, टेलीफोन, टेलीविजन एवं रडार आदि की सुविधा प्राप्त होती है। संचार उपग्रह इसी मंडल में अवस्थित होते है।
FACT :
(i). इसकी ऊँचाई 60 km से 640 km तक होती है। यह भाग कम वायुदाब तथा पराबैंगनी किरणों द्वारा आयनीकृत होता रहता है।
(ii). इस मंडल में सबसे नीचे स्तिथ D-Layer से long radio waves एवं E1, E2 और F1, F2 परतो से short radio wave परावर्तित होती है। जिसके फलस्वरूप पृथ्वी पर रेडियो, टेलीफोन, टेलीविजन एवं रडार आदि की सुविधा प्राप्त होती है। संचार उपग्रह इसी मंडल में अवस्थित होते है।
[5]. बाह्य मंडल (Exosphere)
हाइड्रोजन बम = हाइड्रोजन, ब+म
1. हाइड्रोजन-हाइड्रोजन एवं हीलियम गैस की प्रधानता
2. ब+म-बाह्य मंडल
लाया-silent
हाइड्रोजन बम = हाइड्रोजन, ब+म
1. हाइड्रोजन-हाइड्रोजन एवं हीलियम गैस की प्रधानता
2. ब+म-बाह्य मंडल
लाया-silent
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FACT :
(i). 640 km से ऊपर के भाग को बाह्य मंडल कहा जाता है।
(ii). इसकी कोई ऊपरी सीमा निर्धारित नही है।
(iii). इस मंडल में हाइड्रोजन एवं हीलियम गैस की प्रधानता होती है।
FACT :
(i). 640 km से ऊपर के भाग को बाह्य मंडल कहा जाता है।
(ii). इसकी कोई ऊपरी सीमा निर्धारित नही है।
(iii). इस मंडल में हाइड्रोजन एवं हीलियम गैस की प्रधानता होती है।
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